नागराकाटा (जलपाईगुड़ी): प्रस्तावित गोर्खालैंड राज्य में डुवार्स व तराई इलाके को शामिल करने की मांग का आदिवासी विकास परिषद ने विरोध किया है। उसने कहा है कि यदि इस तरफ किसी का हाथ बढ़ा तो उसे काट दिया जायेगा। उसने माकपा के उस बयान की निंदा की जिसमें कहा गया है कि आदिवासी विकास परिषद का माओवादियों से संबंध है। उल्लेखनीय है कि रविवार को नागराकाटा में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद का 21वा राज्य सम्मेलन हुआ। शुक्रवार से चल रहे इस राज्य सम्मेलन के दौरान रविवार को स्थानीय यूरोपियन मैदान में एक खुली जनसभा की गयी। सम्मेलन में आदिवासियों की विभिन्न मांगों की चर्चा की गयी। इस जनसभा में लोगों की काफी भीड़ उमड़ी थी। जनसभा में पचास हजार से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। हालांकि आदिवासी विकास परिषद का दावा है कि सम्मेलन में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं सभा में आरोप लगाया गया कि स्वतंत्रता के 61 साल बाद भी देश में आदिवासी सरकारी सुविधा से वंचित हैं। इसके विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी गयी। संगठन की राज्य कमेटी के अध्यक्ष बिरसा तिर्की ने बताया कि माकपा की जलपाईगुड़ी जिला कमेटी के सचिव माणिक सांन्याल ने आदिवासियों को माओवादी कहा जो गलत है। माकपा को इसका प्रमाण देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रमाण नहीं देने पर आदिवासी समुदाय इसका उचित जवाब देगा। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद किसी पार्टी से जुड़ी नहीं है। केवल आदिवासियों की समस्या को हल करने के लिए 1967 से काम कर रही है। जनसभा में गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा को खबरदार करते हुए कहा कि डुवार्स व तराई की जमीन की ओर हाथ बढ़ाने वालों के हाथ काट दिये जायेंगे । उन्होंने सभी हिंदी माध्यम के स्कूलों में हिंदीभाषी शिक्षक नियुक्त करने, डुवार्स-तराई इलाके में और हिंदी माध्यम के स्कूल व कालेज की स्थापना, पूर्व निर्धारित रूट से ईस्ट-वेस्ट कारीडोर निर्माण, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में सभी प्रश्नपत्र हिंदी में देने की मांग की। श्री तिर्की ने कहा कि दो सौ वर्ष परिश्रम कर आदिवासियों ने डुवार्स-तराई इलाकों का निर्माण किया। इसलिए आदिवासियों को उपेक्षित न करें। संगठन के अखिल भारतीय अध्यक्ष सोमजी भाई दातोड़ ने बताया कि पूरी भारतवर्ष में एलान करना चाहते हैं कि आदिवासी अब पिछड़े हुए नहीं हैं। पश्चिम बंगाल तथा उत्तर बंगाल सभी आदिवासी अपने अधिकार के लिए एक हो गये हैं। अलग गोर्खालैंड में डुवार्स व तराई को शामिल करने का विरोध सोमजी भाई ने भी किया। उन्होंने कहा कि गोर्खालैंड नहीं यह आदिवासियों की जमीन है। उधर, माकपा के जलपाईगुड़ी जिला कमेटी के सचिव माणिक सान्याल ने बताया कि आदिवासियों के साथ माकपा के संबंध को खराब करने के लिए कुछ लोगों ने विज्ञप्ति जारी की है। उन्होंने कहा कि आत्मविकास के लिए आंदोलन करना अन्याय नहीं है। श्री सान्याल ने यह भी बताया कि आज पंचायत की त्रिस्तरीय व्यवस्था में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व है। सरकार भी इनके विकास के लिए काम कर रही है। पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति की आलोचना करने से पहले विकास परिषद को मसले की जांच करनी चाहिए थी। सम्मेलन में एक कमेटी भी गठित की गयी।
Sunday, November 9, 2008
गोर्खालैंड में डुवार्स व तराई को शामिल करने का विरोध
नागराकाटा (जलपाईगुड़ी): प्रस्तावित गोर्खालैंड राज्य में डुवार्स व तराई इलाके को शामिल करने की मांग का आदिवासी विकास परिषद ने विरोध किया है। उसने कहा है कि यदि इस तरफ किसी का हाथ बढ़ा तो उसे काट दिया जायेगा। उसने माकपा के उस बयान की निंदा की जिसमें कहा गया है कि आदिवासी विकास परिषद का माओवादियों से संबंध है। उल्लेखनीय है कि रविवार को नागराकाटा में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद का 21वा राज्य सम्मेलन हुआ। शुक्रवार से चल रहे इस राज्य सम्मेलन के दौरान रविवार को स्थानीय यूरोपियन मैदान में एक खुली जनसभा की गयी। सम्मेलन में आदिवासियों की विभिन्न मांगों की चर्चा की गयी। इस जनसभा में लोगों की काफी भीड़ उमड़ी थी। जनसभा में पचास हजार से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। हालांकि आदिवासी विकास परिषद का दावा है कि सम्मेलन में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं सभा में आरोप लगाया गया कि स्वतंत्रता के 61 साल बाद भी देश में आदिवासी सरकारी सुविधा से वंचित हैं। इसके विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी गयी। संगठन की राज्य कमेटी के अध्यक्ष बिरसा तिर्की ने बताया कि माकपा की जलपाईगुड़ी जिला कमेटी के सचिव माणिक सांन्याल ने आदिवासियों को माओवादी कहा जो गलत है। माकपा को इसका प्रमाण देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रमाण नहीं देने पर आदिवासी समुदाय इसका उचित जवाब देगा। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद किसी पार्टी से जुड़ी नहीं है। केवल आदिवासियों की समस्या को हल करने के लिए 1967 से काम कर रही है। जनसभा में गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा को खबरदार करते हुए कहा कि डुवार्स व तराई की जमीन की ओर हाथ बढ़ाने वालों के हाथ काट दिये जायेंगे । उन्होंने सभी हिंदी माध्यम के स्कूलों में हिंदीभाषी शिक्षक नियुक्त करने, डुवार्स-तराई इलाके में और हिंदी माध्यम के स्कूल व कालेज की स्थापना, पूर्व निर्धारित रूट से ईस्ट-वेस्ट कारीडोर निर्माण, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में सभी प्रश्नपत्र हिंदी में देने की मांग की। श्री तिर्की ने कहा कि दो सौ वर्ष परिश्रम कर आदिवासियों ने डुवार्स-तराई इलाकों का निर्माण किया। इसलिए आदिवासियों को उपेक्षित न करें। संगठन के अखिल भारतीय अध्यक्ष सोमजी भाई दातोड़ ने बताया कि पूरी भारतवर्ष में एलान करना चाहते हैं कि आदिवासी अब पिछड़े हुए नहीं हैं। पश्चिम बंगाल तथा उत्तर बंगाल सभी आदिवासी अपने अधिकार के लिए एक हो गये हैं। अलग गोर्खालैंड में डुवार्स व तराई को शामिल करने का विरोध सोमजी भाई ने भी किया। उन्होंने कहा कि गोर्खालैंड नहीं यह आदिवासियों की जमीन है। उधर, माकपा के जलपाईगुड़ी जिला कमेटी के सचिव माणिक सान्याल ने बताया कि आदिवासियों के साथ माकपा के संबंध को खराब करने के लिए कुछ लोगों ने विज्ञप्ति जारी की है। उन्होंने कहा कि आत्मविकास के लिए आंदोलन करना अन्याय नहीं है। श्री सान्याल ने यह भी बताया कि आज पंचायत की त्रिस्तरीय व्यवस्था में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व है। सरकार भी इनके विकास के लिए काम कर रही है। पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति की आलोचना करने से पहले विकास परिषद को मसले की जांच करनी चाहिए थी। सम्मेलन में एक कमेटी भी गठित की गयी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment